नई दिल्ली, राहुल गांधी ने अपने अमेरिका दौरे पर मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष बताया,बयान के बाद से भाजपा राहुल पर हमलावर है। भाजपा ने इसी के साथ मुस्लिम लीग को जिन्ना की पार्टी बताया।कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुस्मिल लीग को धर्मनिरपेक्ष बताने के बाद देश में राजनीति चरम पर है। भाजपा राहुल को इतिहास पढ़ने की सलाह दे रही है। 

हालांकि, कांग्रेस नेता ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का जिक्र किया था, जिससे पार्टी ने केरल में गठबंधन भी कर रखा है। आइए, जानें मुस्लिम लीग और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग में अंतर और इसका नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना से क्या था सम्बंध।

मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग की सदस्यता 1913 में ली थी, हालांकि उस समय वो कांग्रेस पार्टी का भी हिस्सा थे। इसके बाद 1920 में कांग्रेस अधिवेशन में जिन्ना ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया।

वर्ष 1930 में देश में पहली बार मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद इकबाल ने आधिकारिक तौर पर अलग मुस्लिम देश बनाने का प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में हिंदू और मुस्लिमों के लिए अलग देश की मांग की। इसका पार्टी के कुछ नेताओं ने विरोध भी किया और उन्होंने अलग पार्टी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग (AIML) बना ली। मुस्लिम लीग की मांग पर ही भारत का बंटवारा हुआ था और इसी के नेताओं ने इस दौरान हिंदुओं का नरसंहार किया था। AIML को बंटवारे के बाद भंग कर दिया गया था।