छत्रपति के वंशज और शरद पवार के सिपहसालार के बीच सतारा में जबरदस्त लड़ाई

छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती सतारा में इस समय चुनावी लड़ाई अपने चरम पर है। भाजपा ने शिवाजी के वंशज उदयनराजे भोंसले को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि, सतारा शरद पवार की राजनीतिक जमीन रही है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती सतारा में इस समय चुनावी लड़ाई अपने चरम पर है। भाजपा ने शिवाजी के वंशज उदयनराजे भोंसले को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उन्हें शिवाजी महाराज के परिवार का सदस्य होने का लाभ मिल रहा है। जनता के लिए किए गए उनके कामकाज के कारण उनके प्रति लोगों में विशेष सम्मान है। उन्हें इसका चुनावी लाभ भी मिल सकता है। लेकिन सतारा शरद पवार की राजनीतिक जमीन रही है। आज भी सतारा की बाजार मंडियों, व्यापारी संगठनों, कर्मचारियों के यूनियन पर उनका जबरदस्त असर है और एनसीपी (शरद पवार गुट) के लोग इन संगठनों पर काबिज हैं। 1999 से लेकर आज तक यहां पर दूसरी किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार जीत नहीं हासिल कर पाया है। इन्हीं संगठनों पर मजबूत पकड़ और शरद पवार के नाम के असर के कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे सतारा में उदयनराजे को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

पवार की इसी पावर का नतीजा था कि बड़ा नाम और बड़ा काम होने के बाद भी उदयनराजे को पिछले चुनाव में यहां से हार मिल चुकी है। हालांकि इस बार मोदी फैक्टर के असर में हो रहे चुनाव में जीत की बाजी किसके हाथ लगेगी, अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है। दोनों पक्षों की अपनी-अपनी मजबूती और अपनी-अपनी खामियां हैं।

काम पर वोट मांग रही भाजपा
उदयनराजे भोंसले के सहपाठी रहे मनोज कान्हेरे ने अमर उजाला को बताया कि सतारा में भी पीने के पानी की बड़ी समस्या रही है। उदयनराजे भोसले ने इस समस्या का समाधान करवा कर यहां के लोगों के लिए बड़ा काम किया है। इससे जनता के बीच उनकी छवि एक नायक जैसी हो गई है। उन्होंने यहां के स्टेडियम में 24 करोड़ रुपये की लागत से नई सुविधाओं को लाकर भी युवाओं के दिल में जगह बनाई है। सतारा से अमरावती की तरफ जाने वाले राजमार्ग का निर्माण करा कर भी भाजपा सरकार ने यहां के लोगों के दिल में जगह बनाने में बड़ी सफलता पाई है। भाजपा कार्यकर्ता सुजाता बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि, देश में लगातार हो रहे विकास के काम भी यहां पर लोगों को भोंसले के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करेंगे।

ऑटो रिक्शा चालक धनाजी सांवले बताते हैं कि उदयनराजे भोंसले केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के परिवार का होने के कारण ही लोकप्रिय नहीं हैं, बल्कि वे जनता के लिए बहुत काम भी करते हैं। उनके जैसे गरीब परिवारों के लिए उन्होंने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार और आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराई है, यही कारण है कि लोग उनसे गहराई से जुड़े हैं।

एक शिक्षक प्रदीप कुमार बताते हैं कि पिछले दस साल में सतारा में विकास का जितना काम हुआ है, उतना पिछले 40 साल में नहीं हुआ था। जनता यह देख रही है, इसी कारण उदयनराजे इस बार ज्यादा ताकत के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। मोदी सरकार के दस साल के कामकाज उदयनराजे की ताकत बन गए हैं। उनका आरोप है कि शरद पवार ने अपनी ताकत का उपयोग किया और सतारा को आने वाली योजनाओं को बारामती की ओर मोड़ दिया, जिससे यह क्षेत्र उपेक्षित रह गया था लेकिन पिछले दस साल में यह क्षेत्र अपनी गरिमा के अनुसार विकास कर रहा है।

स्थानीय पार्षद का कहना है कि इस बार पूरा चुनाव विकास के मुद्दे पर होगा। उन लोगों ने अपने पूरे जीवन में इस तरह का विकास नहीं देखा था जितना पिछले दस साल में उन्हें दिखाई दिया है। वे बताते हैं कि महाराष्ट्र सरकार के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां के विकास के लिए पूरा प्रयास करते हैं जिसका असर यहां दिखाई पड़ रहा है।

अजित पवार की बगावत का ज्यादा असर नहीं
कभी शरद पवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले अजित पवार इस समय भाजपा के गुट में शामिल हैं। उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न घड़ी भी मिल गया है। माना यही जा रहा था कि अजित पवार की बगावत के कारण शरद पवार को बड़ा नुकसान हो सकता है। लेकिन सतारा में अजित फैक्टर बहुत ज्यादा प्रभावी होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। शशिकांत शिंदे पूरी तरह शरद पवार के कामों को याद करते हुए जनता के बीच लोगों से वोट मांग रहे हैं। लोगों का एक वर्ग अभी भी पूरी मजबूती के साथ शरद पवार के साथ खड़ा है।

शरद पवार हैं शशिकांत शिंदे की ताकत
स्थानीय मंडियों, डेयरी संगठनों, कोऑपरेटिव सोसाइटी, बाजारों और कर्मचारियों के यूनियन में अभी भी शरद पवार के गुट के लोग प्रभावी भूमिका में हैं। वोट डलवाने में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय विधायकों में भी शरद पवार गुट प्रभावी है। जमीनी कार्यकर्ताओं की यह मजबूती शरद पवार गुट के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे के पक्ष में जाती है। शिंदे समर्थकों का कहना है कि उदयनराजे की पकड़ केवल शहरी इलाकों में सीमित है, जबकि शशिकांत शिंदे ने अपने कामकाज से ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ बनाई है। इस बल पर वे जीत हासिल करने में सफल रहेंगे।