डाक कांवड़ यात्रा क्या होती है, क्यों माना जाता है इसको सबसे कठिन?

सावन के महीने में शिव भक्त कावड़ यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा को बेहद पवित्र और शुभ फलदायी माना जाता है। शिव जी का हर भक्त चाहता है कि एक न एक बार वो इस यात्रा पर अवश्य जाए। साल 2024 में डाक कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी। कांवड़ यात्रा चार प्रकार की होती है और इसमें दांडी और डाक कावड़ यात्रा को बेहद कठिन माना जाता है। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि डाक कावड़ यात्रा कैसे की जाती है, क्यों इसे सबसे कठिन माना जाता है और इससे जुड़े नियम क्या-क्या हैं। 

डाक कावड़ यात्रा इसलिए है सबसे कठिन 

डाक कावड़ कर पाना हर शिव भक्त के बस में नहीं होता क्योंकि इससे जुड़े नियम कठिन होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, डाक कांवड़ पर निकले भक्त अगर एक बार कावड़ उठा लेते हैं तो उसके बाद शिव धाम तक पहुंचने तक रुक नहीं सकते। यानि भक्तों को लगातार कांवड़ को लेकर चलना पड़ता है। इस यात्रा को पूरा करने का समय भी निश्चित होता है, भक्तों को 24 घंटे के अंदर शिव धाम तक पहुंचाना होता है। इसीलिए यह यात्रा बाकी कांवड़ यात्राओं से कठिन मानी जाती है। ज्यादातर इस यात्रा को पूरा करने के लिए भक्तों की एक टोली बनती है जिसमें वाहन का सहारा भी लिया जाता है। यानि एक कांवड़िया कावड़ को लेकर पैदल दौड़ता है और बाकी के साथी वाहन में होते हैं, जब एक थक जाता है तो दूसरा कांवड़िया कंधे में कांवड़ को लेकर दौड़ता है। एक बार डाक कांवड़ यात्रा शुरू होने के बाद कहीं पर भी रुकनी नहीं चाहिए। इसीलिए डाक कांवड़ को सबसे कठिन माना जाता है। 

कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा करने वालों को यात्रा से पूर्व ही सात्विक जीवन जीना चाहिए। यात्रा शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले से ही तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। यात्रा के दौरान शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि का सेवन करना भी वर्जित होता है। इसके साथ ही कांवड़ यात्रा पर निकले लोगों को बुरे विचार अपने मन में नहीं आने देने चाहिए, किसी भी तरह का गलत कार्य यात्रा के दौरान नहीं करना चाहिए। जो लोग नियमों का पालन करते हुए कावड़ यात्रा संपन्न करते हैं उनकी सभी मनोकामनाओं को भगवान शिव पूरा करते है। 

चार तरह की कांवड़ यात्रा 

  • सामान्य कांवड़ यात्रा

इस यात्रा को आसानी से आप पूरा कर सकते हैं, यात्रा के दौरान कहीं पर भी विश्राम आप कर सकते हैं। इसके साथ ही आजकल ज्यादा थकान होने पर लोग वाहन के द्वारा भी इस यात्रा को पूरा कर लेते हैं। 

  • खड़ी कांवड़ यात्रा 

इस यात्रा के दौरान कांवड़ियों का एक समूह एक साथ चलता है। इस यात्रा में कांवड़ को नीचे नहीं रखा जाता इसलिए जब एक कांवड़िया थक जाता है तो दूसरा कंधे पर रखकर यात्रा शुरू करता है। इसी वजह से इस यात्रा को खड़ी कांवड़ यात्रा कहा जाता है। 

  • दांडी कांवड़ यात्रा

इसको दंड या प्रणाम कांवड़ यात्रा के नाम से जाना जाता है, इस यात्रा को भी थोड़ा कठिन माना जाता है। इस यात्रा के दौरान भक्त गंगा घाट जल लेकर शिव मंदिर तक दंडवत प्रणाम करते हुए आते हैं। यह यात्रा कई बार एक महीने लंबी भी चल जाती है क्योंकि बीच में यात्री विश्राम भी करते हैं। 

  • डाक कांवड़

इस यात्रा के बारे में विस्तार से हम आपको ऊपर जानकारी दे चुके हैं।