सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया है. साथ ही यह औषधीय गुणों की खान होती है. तुलसी की पूजा करना, उसमें रोज जल चढ़ाना बहुत लाभ देता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि तुलसी में सही विधि से जल चढ़ाया जाए, पूजा की जाए. साथ ही कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. विष्णुप्रिया तुलसी के बिना श्रीहरि की पूजा अधूरी है.
तुलसी के पौधे में जल अर्पित करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि जल चढ़ाने से पहले अन्न ग्रहण ना करें. हमेशा तुलसी को जल चढ़ाने के बाद ही कुछ खाएं.
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने का समय सूर्योदय से लेकर उसके 2-3 घंटे बाद तक का ही होता है. इस दौरान ही जल चढ़ाना सर्वोत्तम माना जाता है. हमेशा तुलसी में संतुलित मात्रा में ही जल चढ़ाएं. तुलसी के पौधे को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है.
कभी भी तुलसी में रविवार और एकादशी को जल ना चढ़ाएं. ना ही इस दिन तुलसी को छुएं या पत्ते तोड़ें.
तुलसी के पत्ते बेवजह ना तोड़ें, ऐसा करना आपको पाप का भागीदार बनाएगा.
कभी भी तुलसी को बिना नहाए या अपवित्र स्थिति में ना छुएं.
जब भी तुलसी में जल अर्पित करें, इसके मंत्र का उच्चारण जरूर करें. तुलसी मंत्र- महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।